राम मंदिर गर्भगृह में एक बूंद नहीं टपका पानी... जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महामंत्री चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह कहां से आया पानी

नेशनल सोशल मीडिया पोस्ट में दिखाया जा रहा है कि राम मंदिर के गर्भगृह पानी बरसात के पानी आने की बात की जा रही है । जिस पर राम मंदिर  ट्रस्ट के महामंत्री बोले चंपत राय कहा गर्भ ग्रह में कहीं से भी नहीं हुआ पानी का प्रवेश। 

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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में छत से पा मंदिर परिषद में बरसात केपानी का टपकने की ख़बर तेजी से फैलने के बाद, कई पक्षों ने उठाए सवाल। जिस पर ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने जवाब दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरीये कहा  जहां राम भगवान विराजमान है। वहां एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है। भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नपेद्र मिश्रा पहले ही यह बताया था कि भवन निर्माण में कोई खामी  नहीं है। क्योंकि हर निर्माण की सीबीआरई के विशेषज्ञ करते हैं और उसका प्रमाण पत्र भी देते हैं।

कहां से आया मंदिर के  गर्भगृह में बरसात का पानी 

राम मदिर ट्रस्ट के महामंत्री बोले चंपत राय ने कहा गर्भगृह में कहीं से भी  पानी का प्रवेश नहीं हुआ है । प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है। सभी जंक्शन बॉक्सेज़ में पानी प्रवेश कर रहा है वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा।

वर्षा जल को संरक्षित रिचार्ज पिट का निर्माण कियाजा रहा है।

चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर परिषद में बरसात के पानी का कहीं पर भराव ना हो इसके लिए भी प्रबंध किया गया है। मंदिर परिषद में बरसात के पानी का भरा होना हो इसलिए शून्य वाटर डिजास्टर का निर्माण किया जा रहा है। 

चंपत राय ने मीडिया के साथ बातचीत में राम मंदिर की मुख्य तथ्य भी बताएं।

  • गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है , इसे गूढ़मण्डप कहा जाता है वहाँ मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात ( भूतल से लगभग ६० फीट ऊँचा ) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बन्द हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्र ३५ फीट व्यास का है, जिसको अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराये जा रहे हैं ।द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है।
  • मन्दिर एवं परकोटा निर्माण कार्य तथा मन्दिर परिसर निर्माण / विकास कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L & T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मन्दिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चन्द्रकान्त सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नही है।

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